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    एक नई शुरुआत

    एक नई शुरुआत
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    आओ करें एक नई शुरुआत।
    हां करें हम एक नई शुरुआत।।

    छोड़कर सब पुरानी बातें
    भूल कर सब पिछली यादें
    नई दिशा में कदम बढ़ाकर,
    करें नई सुबह की बात।
    आओ करें एक नई शुरुआत।।

    न होगी कोई गिला-शिकवा  
    न होगी कोई शिकायत
    बनाएगें नए सपने हम
    करेंगे नए कल की वकालत।
    आओ करें एक नहीं शुरुआत।।

    बीता हुआ वक्त अपना नहीं था
    खोया हुआ भी धन अपना नहीं था
    जो डराया वह बुरा सपना था
    अब लाएं नए हौसले नए जज्बात।
    आओ करें एक नई शुरुआत।।

    आने वाले कल को है संवारना
    ज्ञान, विज्ञान, साहित्य, संस्कार,
    संस्कृति का करें परिमार्जन
    आने वाले के सामने बीते की क्या विसात।
    आओ करें एक नई शुरुआत।।

    रात की अंधेरे का चादर हटाकर,
    सूरज के उजाले का प्रकाश फैलाकर,
    जन-गण-मन को आगे बढ़ाकर,
    दिखाएं सब नया करामात।
    आओ करें एक नई शुरुआत।।

    -- : रचनाकार : --
    मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार
    ( अप्रकाशित, मौलिक और स्वरचित रचना)

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