*बुजुर्ग हमारी विरासत हैं*
बुजुर्ग हमारी विरासत हैं देते दुआ अपार।
इनकी सेवा करो हमेशा खिल जाओ संसार।
समय निकालकर पास में बैठो मिलता अद्भुत ज्ञान।
अनुभव इनका दिव्य है धरो निरंतर ध्यान।
अभिवादन तुम करो सभी का संस्कार अपनाओ।
मात पिता आशीष से कुछ करके दिखलाओ।
संगति करना श्रेष्ठ व्यक्ति की उत्तम गुण पहचान।
अच्छी संगति से मिले दिन पर दिन सम्मान ।
रहो विनम्र अपनी बातों से बोलो सोच विचार।
करो सदा उपकार जगत में नही करो व्यभिचार।
दादाजी की दिव्य प्रेरणा खिलते अद्भुत रंग।
संस्कार की दिव्य ज्योति से जीवन खिले उमंग।
एक साथ मिलकर सब खेलो नित अपने परिवार।
दादा दादी चाचा चाची नमन करो प्रति वार।
बात पूर्वजों की धारण कर मिलकर गाओ गीत।
"दिनकर" धन्य पूर्वज मेरे मधुर बजे संगीत।।
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*पंकज सिंह"दिनकर"*
*(अर्कवंशी) लखनऊ उत्तर प्रदेश*