देश के लाल
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मुंशी शारदा प्रसाद के थे वे लाल,
माता राजदुलारी के दुलारे थे।
2 अक्टूबर,1904 को जन्मे,
शांति के वे अमर पुजारी थे।
18 महीने के में जब हुए थे,
सिर से उठ गया पिता का साया था।
नाना हजारी प्रसाद के यहां अब,
भाग्य माता के साथ लाया था।
पर यहां भी विपदा ने साथ न छोड़ा,
नाना हजारी प्रसाद भी स्वर्ग सिधार गए।
तब मौसी रघुनाथ प्रसाद ही,
उन्हें आश्रय देने के लिए आए थे।
ननिहाल में मिला प्राथमिक शिक्षा,
काशी विद्यापीठ से शास्त्री का उपाधि मिला।
लाल बहादुर के नाम के आगे,
अब सदा के लिए शास्त्री जुड़ा।
देश सेवा का व्रत लेकर शास्त्री जी,
भारत सेवक संघ से जुड़ गए थे।
सच्चे गांधीवादी नेता थे वे,
स्वतंत्रता संग्राम में कई बार जेल गए थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात वे,
नेहरू मंत्रिमंडल में बने गृह मंत्री थे।
नेहरू जी के पश्चात वे देश के,
बने दूसरे प्रधानमंत्री थे।
जब पाकिस्तान ने भारत पर किया आक्रमण,
शांति के पुजारी ने तब सिना ताना था।
लाल बहादुर शास्त्री के असली रूप को,
तब पूरे भारतवर्ष ने पहचाना था।
लाहौर तक अधिकार किया भारत में,
पाकिस्तान में मचा त्राहि-त्राहि था।
तब अमेरिका और रूस ने मिलकर,
ताशकंद में समझौता कराया था।
जय जवान जय किसान के पोषक,
देश के लाल, लाल बहादुर शास्त्री थे।
वैश्विक षड्यंत्र का शिकार होकर,
रुस में हीं काल कलवित हुए थे।
पूरा देश डूबा शोक सागर में,
अपना अनमोल लाल सबने खाया था।
शास्त्रीजी के देहावसान पर तब,
सारा भारतवर्ष रोया था।
काव्य पुष्पांजलि अर्पित करते हैं,
भारत के उस अमर लाल को।
शत-शत नमन बारंबार है,
भारत मां का चमकते भाल को।
रचनाकार : --
मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
( शिक्षक सह साहित्यकार)
सिवान, बिहार