राष्ट्रपिता बापू
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एक धोती तन में लपेटे,
हाथ में लिए एक लाठी।
आंखों पर चश्मा चढ़ाए,
रहते थे महात्मा गांधी।
स्वच्छता के थे वे पुजारी,
स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक।
स्वरोजगार का करते वकालत,
नारी सम्मान के थे वे रक्षक।
जब तक हर जन को वस्त्र न मिले,
स्वयं वे कुर्ता नहीं पहनेंगे।
असहयोग करें अन्याय का सभी,
हर भारतवासी से निवेदन करेंगे।
सत्याग्रह और अहिंसा के हथियार से,
भारत को स्वाधीनता दिलाएंगे।
अनसन, उपवास, व्रत करके वे,
शारीरिक शुद्धि भी कराएंगे।
गुजरात के गांधी, बिहार के गांधी,
वे तो सारे भारतवर्ष के गांधी थे।
भारतीय संग्राम में गांधी बनने से पहले,
वे दक्षिण अफ्रीका के भी गांधी थे।
अपना काम करेंगे स्वयं सदा वे,
किसी को भी अपना दास नहीं बनाएंगे।
अपना कार्य करें स्वयं सभी,
यही शिक्षा वे सबको दिलाएंगे।
कठिन व्रत का पालन करेंगे ,
सबको वे स्वावलंबी बनाएंगे।
दूसरों के दोष निवारण के लिए,
स्वयं को पहले शुद्ध कराएंगे।
स्वयं चरखा से सूत कातकर,
वे खादी का वस्त्र बनवाएंगे।
स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करके,
देश को आत्मनिर्भर बनाएंगे।
नमक कानून का विरोध करेंगे,
स्वयं वे नमक भी बनाएंगे।
चाहे खानी पड़े अंग्रेजों की लाठियां,
खुद को अन्याय के आगे नहीं झुकाएंगे।
देश, राष्ट्र,काल से ऊपर उठकर,
ऐसे महापुरुष हुआ करतें हैं।
एक देश के नहीं होते ऐसे लोग,
वे सारे संसार के पूजनीय होते हैं।
मानव मात्र के कल्याण के लिए,
धरा पर वे अवतरित होते हैं।
युगों युगों में एक बार कभी,
ऐसे महापुरुष धरा पर आते हैं।
नमन, श्रद्धांजलि, काव्यांजलि,
महात्मा गांधी को अर्पित करते हैं।
राष्ट्रपिता के जयंती पर हम,
बापू के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं।
रचनाकार : --
मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
( शिक्षक सह साहित्यकार)
सिवान, बिहार