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    मेला

    बाल कविता
                 *मेला*
               *======*
    *भैया संग देखा मेला,*
    *नहीं जा सकता था अकेला,*
    *जोर-जोर से झूला झुलाया,*
    *भैया ने मुझको खूब रुलाया,*
    *मेले में थी भीड़ बड़ी,*
    *बूढ़े थे लिए छड़ी,*
    *मिल गए दोस्त सीटू और बंटी,*
    *साथ में थी उनके आंटी,*
    *भैया ने दिलाए खिलौने व गुब्बारे,*
    *मेले में थे छोटे-छोटे फव्वारे,*
    *खाई हमने आइसक्रीम व पानी-पतासे,*
    *जादूगर दिखला रहा था तमाशे,*
    *मिली पैदल चलने की सजा,*
    *मगर आया हमको खूब मजा।*
    *---- शैलेन्द्र सिंह शैली* 
         *महेंद्रगढ़,हरियाण।*

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