भगत सिंह तुझे क्या बतलाऊँ
देश तेरा किस और जा रहा
पहनके खाकी,उजले कपड़े
देशभक्ति के गीत गा रहा
तूने भारत माँ की ख़ातिर
अपना सब बलिदान किया था
हँसता खेलता देश रहे, यूँ
जीवन अपना दान किया था
लेकिन इन खाकी वालों ने
देश का बंटाधार कर दिया
जगह जगह पर बस झगड़े है
दंगों को आधार कर दिया
देख के हालत तेरे देश की
भगत मैं आहें भरता हूँ
लिख लिखकर अपने भीतर की
पीड़ा ज़ाहिर करता हूं
तेरे सपनों का भारत तो
भगत मेरे आजाद हो गया
लेकिन कुछ जयचंदों के
कारण ये बर्बाद हो गया
देश के अंदर छुपे हुए है
उजले तन वाले गद्दार
कैसे टुकड़े हों भारत के
भरते रहते हैं हुंकार
इन दोमुंही नेताओ से
देश तेरा अब घिरा हुआ है
चेहरों पर बस दहशत दिखती है
हर एक जन अब डरा हुआ है
कभी फूंकते जन्नत जैसी ये कश्मीर की क्यारी को
हरियाणा,पंजाब,हिमाचल,भारत की बाजू प्यारी को
क्या क्या तुझे बताऊँ भगते,चल आगे को चलते हैं
देश की खाकर गाली देते,कुछ ओवैसी पलते हैं
ऊँचे नारों में तो बेटी,नारी,गाय सुरक्षित हैं
देख के उनकी लाशों को,बस हम तो आंखे मलते हैं
अच्छा है मेरे भगते तू अब तारों की नगरी रहता होगा
भारत का दरबार ये दिल्ली तुझे भी गुंडा कहता होगा
नमन तुझे मैं करता हूँ भीगी पलकों से शीश झुकाकर
लिखने का जज़्बा देते रहना तू सपनों में आ आकर
तू सपनों में आ आकर
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर, सोनीपत, हरियाणा