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    आरोप

    आरोप

    कूंए के सब मेंढ़क
    होकर एकजुट 
    लगा रहे थे ठहाके
    एक बाहरी मेंढ़क 
    धुन रहा था अपना सिर
    सागर की
    विशालता की
    बात चला कर
    झेल रहा था आरोप 
    अफवाह फैलाने का।

    -विनोद सिल्ला

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