गुरु हमें शिक्षा,संस्कार,दे, भविष्य सुन्दर बनाएं।
शिक्षक दिवस पर, गुरु चरणों में शीश झुकाएं।।
गुरु की कक्षा में स्वयं पढ़े हैं,आकर के नारायण।
गुरु होना सौभाग्य है,देखें महाभारत, रामायण।।
संदीपन ऋषि से पढ़े हैं,द्वापर में अवतारी कृष्ण।
16 हजार गोपियों वाले,नटखट बनवारी कृष्ण।।
गुरु वशिष्ठ व विश्वामित्र से,पढ़े हैं अवतारी राम।
चारो भाई संग गुरुकुल जाकर,त्रेता में श्रीराम।।
दोनों ही धरती पर जन्में हैं विष्णु के है अवतार।
मानव तन,धर कर,आए,लीला किए अपरंपार।।
जब-जब घड़ा भरा पाप से,बढ़ा धरती का भार।
तब-तब प्रभु अवतार ले,कष्टों से करे हैं उद्धार।।
कृष्ण ने कंस को मारा,श्रीराम ने रावण है मारा।
मानव तनधारी बने हैं,शिक्षा-दीक्षा लिए सारा।।
ऋषियों से ज्ञान प्राप्त कर,गुरु का मान बढ़ाया।
जीवन में शिक्षा बड़ी जरुरी, ये सन्देश पढ़ाया।।
सौभाग्य बढ़ा गुरुकुल का,नर ही थे ये नारायण।
गुरु की कक्षा में स्वयं पढ़े,धरा पे आ नारायण।।
गुरु के ही ज्ञान ज्योति से,जीवन ये आलोकित।
गुरु के ही परम ज्ञान से,भविष्य ये आलोकित।।
बिना गुरु नहीं संभव है,भवसागर से होना पार।
मार्ग दिखाए सतगुरु तो,जीवन बेड़ा होए पार।।
मात-पितु,गुरु के ऋण से,कभी मिले ना मुक्ति।
चाहे जितना अमीर हो कोई , करे कोई युक्ति।।
कोई न संसार में ऐसा,गुरु बिन आगे बढ़ पाए।
पाए जीवन में सब वो,गुरु के शरण जो जाए।।
गुरु के दिखाए मार्ग पर,चल कर तरक्की पाए।
आजीवन याद रहता,गुरुवर जो पढ़ाए,बताए।।
गुरु गोविंद (प्रभु) दोऊ खड़े, काके लागूँ पाँव।
बलिहारी गुरु आपनो,गोविंद(ईश)दियो बताय।।
सबको शिक्षक दिवस की,देरहा हार्दिक बधाई।
शीश झुका,गुरु,शिक्षक को, चरण स्पर्श भाई।।
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रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,लघुकथाकार,समीक्षक व समाजसेवी)