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    उठो पार्थ अस्त्र उठाओ

    यह धर्म युद्ध है रण भूमि में
      ना अधर्मियों से साथ निभाओ।
    युद्ध तो युद्ध है, ना कोई अपना पराया
           उठो पार्थ अस्त्र उठाओ ।।

    कर दो नाश इन अन्यायी पापियों का
    कर्म भूमि में अपना धर्म निभाओ।
    सृष्टि पुकार रही,ना तुम संकोच करो
    मानो कहना...उठो पार्थ अस्त्र उठाओ।।

    बहुत हो चूका भावनाओं का खेल
    लक्ष्य को साध तुम तीर चलाओ।
    आत्म चेतना को एकाग्र कर, ना यूं घबराओ
    धर्म हमारा सत्य सनातन, यह दिखलाओ।।

    धर्म की हुई जीत हमेशा, जानता जग सारा
    दया, प्रेम, करुणा की ज्योत जलाओ ।
    सचमुच विधि खड़ी तेरे दल में
    मानो कहना.... उठो पार्थ अस्त्र उठाओ।।
       स्वरचित एवम् मौलिक रचना 
               अजब सिंह
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    इस कविता में भगवान श्रीकृष्ण के संदेश का चित्रण अन्याय ,अधर्म के विरुद्ध किया गया है।


    Ajab Singh
    Lecture Govt sr sec school shyopura (chirawa Rajasthan

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