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    शिक्षक समाज

    आज मैं आपकी इस इस प्रतियोगिता में शिक्षा के संबंध में कुछ विचार प्रस्तुत करना चाहती हूं ।मैं स्वयं शिक्षा जगत से लंबे समय से जुड़ी हुई हूं। मैं बच्चों की पढ़ाई के समय के कुछ अनुभव लेख के माध्यम से लिख रही हूं।
         शिक्षा देने निकला शिक्षक जब इतनी डिग्रियां देकर शिक्षा देने आता है तो उस पर निर्भर रहने वाले छात्र-छात्राएं , उनके अभिभावक गण सभी उनसे बहुत सी अपेक्षाएं रखते हैं। प्रत्येक माता पिता अपने बच्चे ऊंचाइयों के शिखर पर जाते हुए देखना चाहता है। परंतु कभी-कभी हकीकत इसके विपरीत होती है। कक्षा में पढ़ने आया छात्र नकारात्मक भावना का शिकार होने लगता है। परंतु शिक्षक अपने पद की अहंकार में इतना व्यस्त रहता है कि वह अपने को सर्वश्रेष्ठ समझने लगता है। कभी बाल मनोविज्ञान जो कि उसकी b.ed की डिग्री की प्रमुख विशेषता है उसका स्मरण नहीं करता। यह कक्षा में बैठा छात्र मात्र एक अनुक्रमांक होता है जबकि मां बाप के लिए उसकी पूरी जिंदगी। एजुकेशन शब्द को जब हम समझते हैं तो पाते हैं कि E का अर्थ अंदर से और Duco का अर्थ बाहर की ओर लाना है। बच्चों को सिखाना आगे बढ़ाना उनका मार्गदर्शन करना सभी शिक्षा का ही अर्थ है। एक तानाशाह नहीं है बच्चों के मन की स्थिति परखना शिक्षक का ही कार्य है। शिक्षक छात्र छात्राओं को ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। बच्चों के लिए शिक्षक एक रोल मॉडल का कार्य करते हैं। अच्छी शिक्षकों की छाप व्यक्ति के जीवन से कभी नहीं जातीबच्चे उत्तम अति उत्तम या कमजोर भी शिक्षकों के कारण ही हो सकते हैं। जब हम एक एनपीसी कर्व की बात करते हैं तो समझ आता है कक्षा में तीन प्रकार के छात्र होते हैं सामान्य सामान्य से कम व सामान्य से अधिक। प्रतिभाशाली छात्रों को ही आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करेगा तो सामान्य में कमजोर वर्ग को कौन देखेगा। सामान्य वर्ग जो तनिक भी प्रेरणा से ऊपर उठ सकता है नकारात्मकता का शिकार हो जाएगा। नकारात्मकता उसे और नीचे धकेल देगी। सभी छात्रों को छोटे-छोटे कार्य देकर उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दे। इससे कक्षा का माहौल ऐसा हो जाएगा जिसकी कभी भी कल्पना नहीं की जा सकती । माता पिता सोच कर भी बड़े टैग वाले विद्यालयों में शिकायत नहीं कर पाते कि उनका बच्चा कहीं शिक्षक की कुंठा यहां कोप का भाजन ना बन पाए शिक्षक उस पर आरोप लगाकर पूरे वर्ष उसे प्रताड़ित ना करें मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहती हूं कि शिक्षक वर्ग छात्र हित में इन सभी बातों को अपनाकर कक्षा में प्रेम उत्साह और प्रेरणा का माहौल बनाए जिससे कमजोर वर्ग सामान्य और सामान्य को उत्तम और उत्तम को अति उत्तम छात्र बनाने में वह पूरी तरह सफल हो इससे समाज व राष्ट्र दोनों का उत्थान होगा ।

    जय हिंद जय शिक्षक ।

    - लेखिका डॉक्टर पूनम भसीन शिक्षिका रुकमणी देवी मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल पन्नी गली आगरा
            

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