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    *तुहका तौ मुला हराय देब*

    *तुहका तौ मुला हराय देब*

    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब
    पाँच साल खोब नक्शा मारेव,
    अब औकात मा तुहका लाय देब.
    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    पर्चा हमरौ दाखिल होए, 
    या केहू का हाथ लगाय देब.
    हम खाय भले पाई ना पर, 
    तोहरेव आगे कै अडाय देब.
    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    जब कबो मदद तुहसे मांगे, 
    हमका देश कै कला बताया
    सबका बाँट्या, हमका डाट्या
    राशनकार्ड से नाव कटाया
    अब अही सही मौका पाए
    तोहरेव हम लंगी लगाय देब, 
    हम भले जीत ना पाई पर
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    शौचालय मा लेहा कमीशन
    औ खोब्बै लेहा कलोनी मा
    मनरेगा मा केहा तू घपला
    सब पता बा जोनी जोनी मा
    अबकी तुंहका गतिके रगरब
    औ सारी पोल खोलाय देब
    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    नलका एक ठी माँगे तुंहसे
    पाँच साल मा ना लगवाया
    रिबोर, रिपेयर के नाम पै
    पाँच साल खोब लूट्या खाया
    बस अबकी हम परधान बनब
    औ तुंहपै जाँच बैठवाय देब
    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    का पता नही बाटय हमका
    केतना फर्जी वोटर बढवाया
    जे रहा विरोधी तनिकौ तोहार
    तू ओहकै सीधे नावय कटवाया
    खोब राज केहा तू तौ फर्जी
    अबकी लिस्ट दुरुस्त कराय देब
    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    घर घर जाबै परचार करब, 
    औ सबकै गोड पकड़ लेबै
    जे छटकत भटकत होइहैं हमसे, 
    उनका खोब जोर पकड़ लेबै, 
    रुपया पैसा दारू मुर्गा
    जे चाहे जोन अघवाय देब
    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    साम दाम औ दंड भेद
    सबकै विद्या हम सीख लिहिन
    के आपन वोटर और के गैर
    उन सबका ढंग से चीन्ह लिहिन
    तोहरिव कमजोरी पकड लिहिन
    तुहैं नाकन चना चबवाय देब
    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    अबकिन तौ फंसा अहा तगड़े, 
    जौ आवा अहा लपेटे मा
    मेडे कै दांव लियब तुहसे
    तू फंसा हा चहंटा खेते मा 
    अहंय जे तोहरे चंगू मंगू
    उन सबका हम भरमाय देब
    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    एक नंबर कै अही पिचाली
    केउ जोड नहीं परपंची मा
    सब प्रत्याशिव होइजा सचेत
    हम ठाढ अही सरपंची मा
    जिन लिया तू हमका हलके मा
    अबकी पत्ता तोहार कटवाय देब
    हम भले जीत ना पाई पर, 
    तुहका तौ मुला हराय देब।।

    रचयिता
    अवधी कवि
    *राजू पाण्डेय बहेलियापुर*

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