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    तेरी वंदना करूं

    तेरी वंदना करूं
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    वंदना करूं तेरी मैं वंदना करूं,
     हे मां भारती! तेरी मैं वंदना करूं।
    रज में तेरे लोट-लोट कर बड़े हुए हम,
    तेरे मिट्टी में अनाज उगाकर खाए हम,
    पूर्वा, पछुआ तेरी ही हवाएं शीतलता देती है,
    तेरी शीतल जल को पी कर बढ़ें आगे हम।
    तेरे मीठे गीतों को मैं गाया करूं,
    वंदना करूं तेरी मैं वंदना करूं,
    हे मां भारती! तेरी मैं वंदना करूं।

    तेरी धवल हिमकिरीट मां चम चम चमके,
    तेरी चरणों को पखारे सागर लहरें झुम झुमके,
    पूर्व पश्चिम में फैली तेरी विराट भुजाएं,
    सिर पर हिमालय की सुंदर वेरी श्वेत जटाएं,
    तेरी धवल कीर्ति गाथा को मैं नमन करूं,
    वंदना करूं तेरी मैं वंदना करूं,
    हे मां भारती! तेरी मैं वंदना करूं।

    राम, कृष्ण जन्म लिए है माता तेरी उर से,
    बुद्ध, जैन, गांधी, भी माता तेरे पुत्र थे,
    स्वतंत्रता की बलिवेदी पर शहीद हुए जो,
    सुभाष, आजाद, भगत, राजगुरु, सभी मां तेरे पुत्र थे।
    तेरे वीर पुत्रों को हे मां, नमन करूं,
    वंदना करूं तेरी मैं वंदना करूं,
    हे मां भारती! तेरी मां वंदना करूं।

    खेतों में किसान तेरे मां अन्न उगाते,
    सीमा पर सैनिक तेरी रखवाली करते,
    वैज्ञानिक जल, थल, नभ, में कीर्ति फैलाते,
    खिलाड़ी, गायक और सभी फनकार है तुझे संजाते।
    जवान, किसान और वैज्ञानिक को मैं नमन करूं,
    वंदना करूं मैं तेरी वंदना करूं,
    हे मां भारती! तेरी वह वंदना करूं।
    ( मौलिक और स्वरचित रचना)
    मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार

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