पथरीले पथ पर जिसको चलना ना आया।
कांटों भरी राह पर वह कैसे चल पाए।।
जीवन पथ को जो एकदम खिलवाड़ समझता।
सच है ब्रह्मा भी उसको समझा ना पाए।।
पथरीले पथ पर.......
कर्तव्यों को जो सच में निर्मूल समझता।
अनुभव भरी बतकही पर प्रतिकूल बहकता।
देखन में कितना भी वह अनुरागी होवे।
जीवन में उसको कोई भी समझा ना पाए।।
पथरीले पथ पर.....
जो अन्यान्य जनो में केवल खोट देखता।
दूजे के कष्टों से अपने नयन सेंकता।।
परहित में जिसके दम से दमड़ी ना दरके।
समयोचित सम्मान भला वो कैसे पाए।।
पथरीले पथ पर....
जिसने जीवन में सदा तमस की पूजा की हो।
निरउद्देश्य अकारण ही लाठी भांजी हो।।
ऐसे परसंतापी तो है जग में बहुतेरे।
लगा मुखौटे घूम रहे अनुमान न आए।।
पथरीले पथ पर.....
- Dr. Akhand prakash