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    निचता घ्रणता जब मन में वाश करे तो वो मानव नही दानव बनें

    निचता घ्रणता जब मन में वाश करे तो वो मानव नही दानव बनें 
    हदे सारी जब वो अपनी पार करें तब वो मानव नही दानव बनें 
    ना ही जब उसको कुछ सही गलत का बोध रहे तब वो मानव नही दानव बनें 
    जब हर बुरा काम भी उसको सही लगे तब वो मानव नही दानव बनें 
    जिसका तन मुस्कराये पर मन गंदे विचारो से भरा रहे तब वो मानव नही दानव बनें
    जब मरती गयी इंसानियत को और जी उठती हैवानियत को आँख बंद देखता रहा मानव तब व मानव नही दानव बनें
    आज कलियुग की हकीकत यही है की हर तरफ - हर कोई बस मानव नही दानव बनें
    जब इस संसार में रहा ही नही मानव बस हर तरफ राज करे दानव
    मानव मर गया हैं कब का जीवन जी रहा हैं अब दानव फिर भी अपने आपको दानव कहता हैं मानव
    -राहुल कुशवाहा 

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