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    सूखे आंसू

    सूखे आंसू
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    पिता की मृत काया को लेकर वैन में चला दुखी परिवार।
    मां और साथ में चली सभी बहनें भी थी वो बस चार।।
    घर के द्वारे तक पहुंच ना सकीं हुई एक थी घटना।
    ड्राइवर की लापरवाही से वैन की बड़ी हुईं दुर्घटना।।
     मां और तीन बहनों को फिर काल ने आकर घेर लिया।
    एक बहन बच गई मगर शेष पर मौत ने डेरा डाल दिया।‌।
    पिता की मौत से रोते-रोते आंसू सब खत्म हुए थे।
    बाकी चारों की मौत देखकर आंसू अब सूख गए थे।।
    व्यथित हो गई थी वह बेटी जिस पर टूटा था पहाड़।
    खड़ी बिमूड़ वह देख रही थी मुख से निकली ना दहाड़।।
    ईश्वर की यह लीला देखो अब कोई बचा ना साथ।
    जो अनाथ बेटी के सिर पर रखे आपना हाथ।।
    घायल थी पर रो ना सकी उसे ढाढंस कौन बंधाए।
    चुपचाप थरा पर पड़ी हुई थी अस्पताल कौन ले जाए।।
    रोते-रोते नयन सूज गए बेसुध था पड़ा शरीर।
    आंखों के भी आंसू सूखे अब कौन सुनेगा पीर।।
    पथिक नजारा पढ़ कर यह आंसुओं को रोक ना पाया।
    सूख गए उसके भी आंसू पूरी खबर नहीं पढ़ पाया।।
    जब पांच चिंताएं जली एक संग अग्नि देव भी रोए।
    जिसने विभत्स यह दृश्य है देखा वो फूट-फूटकर रोए।।
    धरती मां भी व्यथित हुई सीने पर जो शव रखे थी।
    धधक-धधक कर चिता जल उठी बस राख ही शेष बची थी।।
    विद्या शंकर अवस्थी पथिक

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