जय जय जय हे भारत माता।
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ज्ञान-प्रकाश जग को तूने हीं दिया,
वेद, पुराण और रामायण, गीता।
जय जय जय हे भारत माता।
तेरे उरसे अनमोल रतन जन्मे,
राम, कृष्ण और राधा, सीता।
जय जय जय हे भारत माता।
जग को तुमने शून्य दिया है,
उस शून्य में ब्रह्मांड समाया।
जय जय जय हे भारत माता।
भ्रातृत्व-संदेश दिया है सबको,
सीमा रक्षा करने भी है आता।
जय जय जय हे भारत माता।
सात समुंदर पार किया अरि को,
प्राप्त किया है अपनी स्वतंत्रता।
जय जय जय हे भारत माता।
मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
( शिक्षक सह साहित्यकार)
सिवान, बिहार