**********बरखा**********
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बरखा रानी ने खुश कर दिया
सब हरा और भरा कर दिया
फूल गुलशन मैं खिलने लगे
दामन खुशबू से तर कर दिया
इन्द्रधनुषी जहां होगया
दिल सभी का जवां होगया
भीगे तन मन में हल चल मची
मस्त सारा समां होगया
जवानी अंगड़ाई लेने लगी
रस की धाराएं बहने लगी
छोरे बन मोर नाचन लगे
कुछ कुछ आंखें भी कहने लगीं
मेहंदी हाथों मैं सबके लगी
पी मिलन की तमन्ना जगी
बचपन सबके ही मुस्का रहे
गीत खुशियों के सब गा रहे
सबको सावन ने सौगात दी
फूल की तरह सब खिल गए
नाचने गाने सब ही लगे
सब आपस में हिल मिल गए
गोपी साजन ।