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    हर इक नगमा बुलंद आवाज में गाया नहीं करते

    **********गज़ल**********
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    हर इक नगमा बुलंद आवाज में गाया नहीं करते
    हकीकत रूबरू हो तो उसे झुंठलाया नहीं करते।

    अहम लाया नहीं करते खुद को भरमाया नहीं करते
    हुस्न और दौलत,शोहरत पे कभी इतराया नहीं करते।

    बनाया है सबल तुमको मदद को आगे आ जाओ
    जोर निर्बल असहायों पर कभी अजमाया नहीं करते।

    तोहफा कितना ही हो छोटा उसको तुम करलो कबूल
    नजाकत अपनी दिखलाकर उसे ठुकराया नहीं करते।

    बुरा हो वक्त कितना ही तुम अपना धैर्य मत खोओ
    पुख्ता दिल ही सहते हैं सब वो घबराया नहीं करते।

    कोई गर काम आए वक्त पर भूलो नहीं उसको
    सदां इज्जत करो उसकी अदा दिखलाया नहीं करते।

    जहां में आए हैं हम सब तो दुख सुख भोगने होंगे
    किसी की राह में कांटे कभी बिखराया नहीं करते।

    पुकारो सिर्फ अपनों को तुम्हारे हो चुके हैं जो
    अच्छे वक्त में उनको कभी बिसराया नहीं करते।

    हर इक इच्छा किसी की भी कभी पूरी नहीं होती
    अगर मन की नहीं हो तो कभी झुंझलाया नहीं करते।

    वो देनेवाला है साजन सदा मांगा करो उससे
    दामन हर किसी के सामने फैलाया नहीं करते।,,,,, -गोपी साजन

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