राम जाने क्या परेशानी, उसे घरबार से है
मेरा मतलब रंग बिरंगे, सारे ही संसार से है
आजकल क्या हो रहा, कुछ समझ आता नहीं
उठ रहा है क्यूँ भरोसा, गाढ़े से एतबार से है
झुक रही हैं गर्दनें, लगभग हर एक माँ बाप की
रह गया बच्चों को मतलब, अपने देखे प्यार से है
वो भला सुख चैन से क्यूँ जी रहा है जिंदगी
ख़ुद तो हारे बैठे हैं लेकिन गरज उस हार से है
जो कविताएं सुनाते हैं कवि अश्लील दिखती
नाम सचिन का जहां में उसके तो व्यवहार से है
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत