*जय जय जय जय भोले शंकर*
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जय, जय जय जय भोले शंकर जय, जय जय जय कैलाशी
जय हो तुम्हारी काशी वासी जय, जय, जय जय अविनाशी।
जटा में गंगा मस्तक चंदा विषधर सर्पों की माला
राम भजन में मस्त प्रभु तुम पीकर के भंग का प्याला
बजादो डमरू दर्शन देदो मैं दर्शन का अभिलाषी।
जय,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।
जिसने को मांगा वो पाया सबको सब कुछ दान दिया
देवों को अमृत पिलवाया तुमने विष का पान किया
देकर तीनों लोक दान करें प्रभु बने तुम बनवासी
जय,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।
जो भी आया शरण तुम्हारी उसको तुमने तार दिया
भस्मासुर को भस्म कराया काम देव को जार दिया
मेरी सुनलो महादेव तुम तुम भक्तों के विश्वासी।
जय,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,।
,, गोपी साजन