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    है खून सस्ता और महंगा है पानी

    है खून सस्ता और महंगा है पानी
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    है खून सस्ता और महंगा है पानी
    सुलगता जहां है सिसकती जवानी।

    फिज़ा में जहर कैसी मौजे रवानी
    न दिन आशिकाना न रातें सुहानी।

    अब डरना पड़ता है साए से अपने
    अब सोच में आगयी बे ईमानी।

    बहुत कुछ खरीदा है पैसे से हमने
    मगर मिल न पाई खुशी वो रूहानी।,,,, गोपी साजन
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    है खून सस्ता और महंगा है पानी
    सुलगता जहां है सिसकती जवानी।

    फिज़ा में जहर कैसी मौजे रवानी
    न दिन आशिकाना न रातें सुहानी।

    अब डरना पड़ता है साए से अपने
    अब सोच में आगयी बे ईमानी।

    बहुत कुछ खरीदा है पैसे से हमने
    मगर मिल न पाई खुशी वो रूहानी।,,,, गोपी साजन

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