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    अधिकार और कर्तव्य

    अधिकार और कर्तव्य
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    राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान, राष्ट्र ध्वज फहराने का अधिकार और राष्ट्र ध्वज के प्रति कर्तव्य के संबंध में प्रस्तुत है एक कविता
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           अधिकार और कर्तव्य
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    आजादी के 75 साल हुए पूरे
    हमने मनाया अमृत महोत्सव
    उत्तर - दक्षिण, पूर्व - पश्चिम
    देश के हर कोने में मना उत्सव।

    एक नया अधिकार मिला सबको
    घर-घर तिरंगा ध्वज फहराने का
    हर घर तिरंगा का नारा मुखर हुआ
    स्वर्णिम अवसर मिला सबको तिरंगा लगाने का।

    अति उत्साहित सरकार ने चलाया
    "हर घर तिरंगा" का अभियान
    आजादी मनाने में देश के हर जन को
    अब प्राप्त हुआ समान अधिकार।

    गौरवान्वित थे सभी नर - नारी
    राष्ट्रध्वज अब अपने हाथ होगा
    सभी गर्व से अपने घर पर फहराएंगे झंडा
    राष्ट्र विकास में सबका साथ होगा।

    ऊंच नीच और जांति पांति का
    भेद नहीं अब इसमें कहीं होगा
    आजादी की लड़ाई में साथ दिए थे सभी भारतीय
    झंडा फहराने में भी अब सबका साथ होगा।

    लक्ष्य रखा गया था 20 करोड़ झंडा बनाने का
    30 करोड़ बने छोटे- बड़े तिरंगा ध्वज
    500 करोड़ का हुआ कारोबार
    देश के कोने कोने पहुंचा राष्ट्रध्वज।

    13 से 15 अगस्त 2022 तक चला
    "हर घर तिरंगा" ध्वज अभियान
    सब ने लगाया ध्वज अपने घरों पर
    वाहनों पर भी ध्वज पाया सम्मान।

    हर वाहन पर हर छत पर
    हर झोपड़ी और हर नुक्कड़ पर
    पर्वत शिखर नदी के बीच नावों पर
    समुद्र के बीच और नदी में भी खड़े होकर।

    सर्वत्र राष्ट्र हुआ तिरंगामय
    मिला था सबको नया अधिकार
    पर इस अति उमंग में अधिकतर
    भुलाने लगे थे अपना कर्तव्य।

    काफी नहीं होता सिर्फ ध्वज फहराना
    उचित निस्तारण भी है जरूरी
    समय से ध्वज फहराए, समय से उतारे
    हर कर्म में नियम पालन है जरूरी।

    ध्वज जमा करने के लिए कई लोग आगे आए
    "ला मार्टिनियर गर्ल्स कॉलेज लखनऊ"
    मुंबई में इंडियन ऑयल का पेट्रोल पंप
    "माय ग्रीन सोसाइटी" और कई एनजीओ।

    अपने स्तर से सभी सहयोग कर रहे थे
    राष्ट्रध्वज को सब सामान जमा करने में
    स्वयं जाकर या डाक द्वारा सभी
    भेज सकते थे उतारे गए राष्ट्रध्वज।

    फहरा सकते हैं ध्वज को सालों भर
    हम अपने घरों के छत पर
    या फिर ससम्मान उतार कर
    सुरक्षित रख सकते हैं हम अपने घर।

    कटे-फटे या मैली- कुचैली ध्वज का
    कर सकते हैं उचित निस्तारण
    एकांत में दहन या भूमि में दफन
    पर न बनाएं वीडियो या न करे प्रदर्शन।

    इन सब के बावजूद भी जनता
    भूल गई अपने पूरा करने कर्तव्य
    लटके रहे फटे पुराने झंडे घरों और
    दोपहिया या अन्य वाहनों पर।

    अधिकार और फल तो चाहते हैं सभी
    पर भुला देते हैं अपने कर्तव्य सभी
    बिना कर्तव्य के कोई अधिकार नहीं होता पूरा
    क्या यह नहीं जानते हैं सभी।

    जानते हुए अनजान बनते हैं
    जानबूझकर सभी अपराध करते हैं
    जब सजा और दंड की बात आती है
    दोष तब सभी सरकार को डालते हैं।

    जितना जरूरी है खाने के पहले और बाद में
    शुद्ध जल और साबुन से धोना हाथ
    उतना ही जरूरी है अधिकार पाने के लिए
    निभाते रहना सबको कर्तव्य का साथ।

    ध्यान रखो की मस्ती में कभी
    राष्ट्र का नहीं अपमान हो कहीं
    उत्तुंग शिखर पर सम्मान पाए ध्वज
    सभी भारतीयों को इसका ध्यान हो।

    न करें सिर्फ दोषारोपण एक दूजे पर
    स्वयं आगे बढ़कर पहल करें
    अपमानित न हो तिरंगा ध्वज कभी
    आओ सब मिलकर इस का जतन करें।

    करे जागरूक जन-जन को सब मिलकर
    राष्ट्रीय कर्तव्य का पाठ पढ़े पढ़ाएं
    गौरवान्वित जग में रहे भारत सदा
    ऐसा संकल्प कर हम सब कदम बढ़ाए।
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    द्वारा:-
    मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार

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