आओ पेड़ लगाएं
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आओ श्रम करें,हम पेड़ लगाएं,
धरती को अपने स्वर्ग बनाए।
पेड़ ही तो है धरती के फेफड़े,
शुद्ध वायु देकर जिंदा बनाएं।।
नहीं होंगे पेड़ यदि धरा पर,
फैलेगी अस्वच्छता जल भी न पाएं।
पेड़ ही कराते हैं धरा पर वर्षा,
वर्षा कराकर जिंदगी बचाएं।।
हरियाली फैलाकर करें पृथ्वी सुशोभित,
रंग - बिरंगे धरा को वस्त्र पहनाएं।
दुल्हन सी सजेगी अपनी प्यारी दुनिया
प्रदुषण रहित जब धरा बनाएं।।
प्राकृतिक वस्तुओं का करें उपयोग हम,
औद्योगिक कचड़ा नहीं हम फैलाएं।
न करें उपयोग प्लास्टिक- पौलिथिन का,
कपड़े का थैला लेकर हाट - बाजार जाएं।।
आओ सब मिलकर करें संकल्प हम,
न फैलाएं प्रदूषण, स्वच्छ पर्यावरण बनाएं।
सुंदर, सुसज्जित, सुवासित भारत हो अपना,
खुब श्रम करें खुब पेड़ लगाएं।।
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मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
( शिक्षक सह साहित्यकार)
सिवान, बिहार