रामराज्य का सपना साकार होगा
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, समाज में वह रहता है,
यूनान का प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु सच कहता है।
व्यक्ति और व्यक्ति के मिलने से बनता एक समाज है,
सब के सामूहिक प्रयासों से होता फिर विकास है।।
अकेला मनुष्य कुछ भी कर नहीं सकता,
समाज में ही रहकर वह लक्ष्य हासिल है कर सकता।
"अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ पाता" है पुरानी कहावत,
सब मिलकर जब जोर लगाते, विजय वह पा जाता।।
घर, परिवार, ग्राम, राज्य, राष्ट्र, जुड़े हैं सब एक कड़ी से,
एक कड़ी भी अविकसित रह जाए निकल जाए जब लड़ी से।
राष्ट्र पीछे रह जाता है,
जा नहीं पाता विकास की गाड़ी में,
सब मिलकर प्रयास करते हैं, आते हैं अगली पंक्ति में।।
शिक्षा, संस्कार, स्वरोजगार जब नागरिक पाते हैं,
एक दूसरे पर दोष लगाना जब सब लोग छोड़ देते हैं।
वहीं राष्ट्र आगे बढ़ता है, नई मंजिल चढ़ता है,
तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा पाकर आगे बढ़ता है।।
नहीं संभव है सफेदपोश नौकरी सब लोगों को मिल जाए,
बड़े आराम से सभी नागरिक बैठे-बैठे सब पाएं।
पाने के लिए कर्म करना है नहीं दोष देना है,
आओ सब मिलकर ये बातें सब लोगों को समझाएं।।
कर्म करे सभी मिलकर कर्म ही धर्म, पूजा है,
मंजिल पाने के लिए कर्म से बढ़कर नहीं राह दूजा है।
यह बात जब सब लोगों के दिमाग में बैठ जाएगी,
सही अर्थों में राष्ट्र में समझो तभी स्वराज आएगा।।
समाज में व्याप्त कुरीतियों को सब मिल दूर भगाओ,
अशिक्षा, गरीबी, नारी दुर्दशा, पर फिर काबू पाओ।।
हर कन्या को मां, बेटी, बहन, जब हर पुरुष समझेगा,
हर कन्या में लक्ष्मी, सरस्वती, काली वह देखेगा।
कन्या हत्या, बलात्कार, बाल विवाह स्वत: रुक जाएगा,
कन्या सुरक्षित होगी और राष्ट्र गौरव पाएगा।।
भ्रष्टाचार से असहयोग जब हर नागरिक करेगा,
अन्याय, अनीति के खिलाफ जब सब का सिर उठेगा।
शिक्षित परिष्कृत व्यक्ति हैं जब राष्ट्राध्यक्ष बनेगा,
सच कहता हूं फिर से रामराज्य का सपना साकार होगा।।
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मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
( शिक्षक सह साहित्यकार)
सिवान, बिहार