कोई परिणाम नहीं मिला

    क्या - क्या गोल


    बाल कविता-
    *************
    क्या - क्या गोल
    **************

    बोल भई बोल क्या - क्या गोल।
    लड्डू गोल, पेड़ा गोल
    रसगुल्ला और गुलाबजामुन गोल
    मम्मी बनाती रोटी गोल
    तवा गोल,चकला गोल
    दादी लगाती चश्मा गोल।

    बोल भई बोल क्या - क्या गोल।
    फूटबाल गोल, क्रिकेट - बाल गोल
    नचाने वाला लटटु गोल
    चुड़ी गोल,बिंदी गोल
    पापाजी देते पैसा गोल।

    बोल भई बोल क्या - क्या गोल।
    सूरज गोल,चंदा गोल
    पृथ्वी गोल, ग्रह - नक्षत्र गोल
    गौर से देखो जहां हम रहते
    वह सारा ब्रह्माण्ड ही गोल।

    बोल भई बोल क्या - क्या गोल।
    मास्टरजी कापी में देते नंबर उस नंबर का जीरो गोल
    जीरो होता सब अंक का हीरो
    जो उससे लड़ता उसे भी बनाता जीरो
    उसके पहले जो प्रेम से बैठे उसको कर देता दसगुना।
    बोल भई बोल क्या - क्या गोल
    सूरज,चंदा, धरती, पैसा, रोटी,मिठाई,
    सब कुछ गोल जीरो अंक का हीरो गोल।
    सब कुछ गोल भई सबकुछ गोल
    सारी दुनिया सृष्टि गोल।
    ***************************

    मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार

    एक टिप्पणी भेजें

    Thank You for giving your important feedback & precious time! 😊

    और नया पुराने

    संपर्क फ़ॉर्म