मेरे पिताजी, मेरे भगवान
भोले -भाले सीधे -सादे मेरे पिताजी मेरे भगवान।
स्वभाव से अति सरल, साधारण जीवन जीते थे,
खेती -बारी करके पूरे परिवार का पेट वे भरते थे,
हर दीन- दुखियों की सेवा में वे सदा लगे रहते थे,
निरक्षर किसान थे,पर सारे गांव वाले पूजते थे,
सभी लोगो का रखते थे हर क्षण वे ध्यान।
भोले -भाले सीधे -सादे मेरे पिताजी मेरे भगवान।
खान- पान और स्वास्थ्य का हम सभी का रखते थे वे ध्यान,
दूध-दही की जरूरतों का भी था उनको भान,
मेरे शिक्षा के लिए सदा रहते थे वे तत्पर,
निजी विद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाई के लिए थे प्रतिबद्ध,
गलतियों को हमारे सुधारते, आगे बढ़ने के लिए देते थे प्रेरणा।
भोले -भाले सीधे- सादे मेरे पिताजी मेरे भगवान।
छोड़ चले जग में हमें,गए स्वयं वे साश्वत धाम,
उनकी कमी पूरी न होती,चाहे मिलते असंख्य भगवान,
हुए अनाथ, बेसहारा हम, लेते सदा हम उनका नाम,
उनकी दया और कृपा से हम हासिल कर पाए जग में मुकाम,
ऐसा दिन न आए कभी जब विस्मृत हो उनका नाम।
भोले- भाले सीधे- सादे मेरे पिताजी मेरे भगवान।।
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मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
( शिक्षक सह साहित्यकार)
सिवान, बिहार