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    प्रातः वंदन

    प्रातः वंदन
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    शुक्रवार का दिन आज, ऋषि है शुक्राचार्य।
    दानवदल संरक्षित करें,मृत को भी देते जीवन दान।।
    गणेश पुत्री मां संतोषी,हरें विपदा और क्लेश।
    संतोष, सन्मति से सब रहें, करें आपस में न द्वेष।।
    वैभव लक्ष्मी मां वैभव देती,रखती सदा सम्पन्न।
    न रहे कोई रोगी,बुभुक्षित,न ही दरिद्र, विपन्न।।
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    आज शुक्रवार के दिन गुरु शुक्राचार्य जैसा निष्ठावान और कर्तव्यनिष्ठ ऋषि से प्रेरणा लें। मां संतोषी से संतोष और मां से आप सभी को सम्पन्नता का आशीर्वाद प्राप्त हों।
    आपका दिन शुभ हो।
    सुप्रभात, प्रातः वंदन, नमन
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    मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ "
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार

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