नशा नाश की जड़
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नशा नाश की जड़ है, जानते हैं सभी।
फिर भी इसके गिरफ्त में आ जाते हैं सभी।
पान, गुटखा, तंबाकू में क्या मौज है।
खैनी, बीड़ी, सिगरेट पीने में क्या मौज है।
दारू -शराब पीकर बर्बाद करते हो अपना घर,
अपने हाथों घर जलाने में बोलो
क्या मौज है।
बातें खरी-खरी यह जानते हैं सभी।
फिर भी इसके गिरफ्त में आ जाते हैं सभी।
स्वस्थ शरीर रखना है तो यह सब त्याग दो।
अपना लो शुद्ध भोजन, कभी धुम्रपान न करों।
घर और समाज में होती है बदनामी।
नशा के आदि होते हैं उदण्ड और कामी।
जिंदगी में सफल होना है तो न करों नशा कभी।
भुलकर भी इसके गिरफ्त में न आओ तुम कभी।
नौकरी न कर पाओगे ढंग से बच्चें होंगे बेकार।
समय से भोजन न मिलेगा पत्नी भी होगी लाचार।
समाज में हर जगह होगी तेरी तौहिनी।
सब लोगों की झिड़कियां भी पड़ेगी तुझे सहनी।
नशा त्याग करके आपना जीवन सुधार लो सभी।
भुलकर भी इसके गिरफ्त में न आओ तुम कभी।
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मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
( शिक्षक सह साहित्यकार)
सिवान, बिहार
मोबाइल नंबर 9576 5350 97