*******गज़ल*******
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इल्जाम इल्म बन गया तो शर्म आयेगी
तेरी हंसी ही तुझको इक दिन रुलाएगी।
शौहरत की बुलंदी से नीचे गिरेगा जब
नीचाई उसकी तुझ से नापी न जाएगी।
सूरत की सर्जरी तो हो भी जाएगी
सीरत चली गई तो वापस न आयेगी।
किरदार की चमक को रख बरकरार तू
रूहे कंवल खिलेगा महक तब ही आएगी।,,,,
-गोपी साजन