*गजल*
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आकर्षण के भंवर जाल में खुद ही ये आ जाती हैं
बहकावे में आकर के फिर बाद में ये पछताती हैं।
सब कुछ प्रेमी ही दिखता है पालनहार नहीं दिखते
जिन्होंने जीवन इनका संवारा इन्ही को ये ठुकराती हैं।
रोज तलाक की खबरें आती रोज ही मारी जाती हैं
फिर भी अक्ल नहीं आती है समझ नहीं ये पाती हैं।
सारी गलती इन्ही की है क्यूं ये फिसल जाती हैं
लव जिहाद के चंगुल में ये इसीलिए फस जाती हैं।
हे ईश्वर सद्बुद्धि दे इनको भला बुरा अपना सोचें
आखिर क्यूं ये जानबूझ कर मौत के मुंह में जाती हैं।,,,,
-गोपी साजन