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    विश्व पर्यावरण दिवस-प्रकृति संतुलन जरुरी*

    *विश्व पर्यावरण दिवस-प्रकृति संतुलन जरुरी*
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    इस धरती से दूर हो रही,रोज प्राकृतिक हरियाली।
    नित्य कट रहे पेड़ व जंगल,मिटा रही ख़ुशहाली।।

    जीवन के लिए है वृक्ष जरूरी,इन्हें यार मत काटो।
    नाली नाले तालाबों को,न ही कूड़े कचरे से पाटो।।

    पॉलीथीन के थैले छोड़ो,इस धरती पर रहम करो।
    कभी नहीं ये गलती सड़ती, पृथ्वी पर रहम करो।।

    नाली-नाले चोक है करती, और जहर फैलाती है।
    बरसातों में इसी लिए तो, गन्दगी बजबजाती है।।

    नदियां भी रहें प्रदूषित,खेत उर्वराशक्ति ह्रास करे।
    माँ गंगा की निर्मलता,इस दुष्प्रभाव से ह्रास करे।।

    बंद करो खाली हाथों,अब हाट बाजार का जाना।
    कपड़ा वाला थैला लेकर, साथ में ही अब जाना।।

    वृक्षारोपण करें सघन और,धरती को स्वर्ग बनाएं।
    खेतों और खलिहानों में,फिर अपना अन्न उगाएं।।

    जागरूक होकर अपना,खुद का तो धरम निभाएं।
    सुखमय हो भविष्य भी,और ये पर्यावरण बचाएं।।

    नैसर्गिक ये प्रकृति हमारी,प्रभु का अनुपम उपहार।
    हर चीजों की करें सुरक्षा,और करें प्रकृति से प्यार।।

    आओ लें संकल्प आज ये,स्वच्छ रखेंगे हम भारत।
    नहीं करेंगे स्वयं गन्दगी, स्वस्थ्य रखेंगे हम भारत।।

    होगा स्वप्न साकार तभी,पर्यावरण शुद्ध बनाने का।
    इच्छा शक्ति प्रबल हो यदि,ये संकल्प निभाने का।।

    विश्व पर्यावरण दिवस पर आएं,ये दृढ़ संकल्प करें।
    सुरक्षित रखना है जीवन, तो प्रकृति संरक्षित करें।।



    सर्वाधिकार सुरक्षित (C)(R)
     
    रचयिता

    *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
    सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रवक्ता-पी.बी.कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
    इंटरनेशनल ज्वाइंट ट्रेजरर,2023-2024, ए. सी. आई.
    एलायंस क्लब्स इंटरनेशनल,कोलकाता,प.बंगाल,भारत
    (शिक्षक,कवि,लेखक,लघुकथाकार,समीक्षक एवं समाजसेवी)
    वरिष्ठ समाजसेवी-प्रांतीय,राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय वि.सेवा संगठन

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