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    हरि ॐ श्री सद्गुरूदेवाय नमः

    🙏🏻🙏🏻 हरि ॐ श्री सद्गुरूदेवाय नमः 🙏🏻🙏🏻
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    गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वर:।
    गुरु साक्षात् परम ब्रम्ह,: तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
    हिंदू धर्म में गुरु का विशेष स्थान है। गुरुदेव एक महत्वपूर्ण स्थान पर पदस्थापित हैं। कहा जाता है कि जब तक गुरु की कृपा प्राप्त नहीं होती, तब तक ज्ञान मिलना असंभव है। कहा गया है--
    गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काको लागूं पाय।
     बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय।।
    गुरु के कृपा के बिना ईश्वर कभी दर्शन नहीं देते। गुरु है ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग बतलाते है। गुरु हमें अंधकार से निकालकर प्रकाश की तरफ ले जाते हैं। गुरु ही हमें अज्ञानता से ज्ञान के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। भगवान ने भी अपने बाल रूप में गुरु चरणों की सेवा करके गुरु के महिमा को स्थापित किया है। भगवान श्री राम गुरु श्री वशिष्ठ जी के श्रीचरणों में और भगवान श्री कृष्ण गुरु श्री गर्गाचार्य और गुरु सांदीपनि के श्रीचरणों में अपने आप को समर्पित करके गुरु के महिमा को अक्षुण्ण बना दिया है।
    गुरु पूर्णिमा का त्यौहार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को प्रसिद्ध हिंदू ग्रंथ महाभारत के रचयिता, पुराणों के प्रणेता, और वेदों के परम विद्वान महर्षि वेदव्यास जी के जन्म दिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है। उनका जन्म आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। उनके पिता का नाम महर्षि पराशर और माता का नाम सत्यवती था।
    गुरु पूर्णिमा का त्यौहार सिर्फ हिंदू ही बल्कि बौद्ध और जैन भी मनाते हैं। यह त्यौहार भारत के अलावा नेपाल, भूटान और अन्य पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। कहते हैं गौतम बुद्ध इसी दिन अपने पांच परम शिष्य को पहली बार उपदेश दिए थे। उसके बाद ही संगठन बनाने का कार्य हुआ था।
    गुरु पूर्णिमा का त्यौहार अपने अहंकार, अज्ञान, लोभ, लालच दंभ, आदि दुर्गुणों को गुरु चरणों में समर्पित करके उनसे ज्ञान और प्रकाश का आशीर्वाद लेने का त्यौहार है। आत्मा से परमात्मा के मिलन के लिए, स्वयं से स्वयं का आत्मसाक्षात्कार करने के लिए, ईश्वर के चरणों में प्रीति और भक्ति बढ़ाने के लिए, श्री हरि विष्णु के परम धाम बैकुंठ धाम में और भगवान श्री कृष्ण के शाश्वत धाम गोलोक धाम में स्थान पाने के लिए गुरु से आशीर्वाद लेने का यह परम सौभाग्यप्रद त्यौहार है।
    इस त्यौहार को व्यर्थ में नष्ट न करें। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के श्री चरणों में ध्यान लगा कर, गुरु प्रतिमा अथवा गुरुदेव का पंचोपचार षोडशोपचार अथवा यथा उपलब्ध सामग्री के द्वारा स्नेह, प्रीति और अनुराग से पूजा करें और गुरु मंत्र का अधिकाधिक जब करके गुरु आशीष प्राप्त करें।
    ।।हरि ओम श्री सतगुरु देवाय नमः।।
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    मौलिक, अप्रकाशित और स्वरचित रचना विधा आलेख

    मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार

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