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    रवि वंदना ( प्रातः स्तुति)

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    रवि वंदना ( प्रातः स्तुति)
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    प्रातः रवि की चंचल किरणें, नव जीवन है देती।
    तरो ताज़ा करती सबको, सुस्ती सब हर लेती।।
    भगवान भास्कर का ध्यान कर, करें दिवस आरंभ।
    सफल होंगे काज सभी, होगा नहीं विलंब।।
    जगती को जीवन देते जो, कैसे नैराश्य लाएंगे।
    शीश झूकाएं सूर्य देव को, मनवांछित फल पाएंगे।।
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    भगवान भास्कर सबकी मनोकामना पूरी करें।
    सब का दिन शुभ हो।
    सादर नमन, वंदन
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    मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ "
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार

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