*समय की कीमत*
हे मन तनिक सुधरि अब जाव
छल प्रपन्च रचि जाव भुलाय
आओ रे हरि के दरबार
आपन मन शीतल कइ जाव
ई कालचक्र कय अनुभव है
बुढ़वन से तू मांगि लिया
जन मानस मा है आगि लागि
वहपय पानी तू डारि दिया
समय बखत सब बदलि गवा
समय के सथवा चलि चला
समय का समझबा जव अबही
समय लौटि तोहरव आये
समय गंवाया फिर भैया
समय तुहैं समझायि दे
वरुण तिवारी मुसाफिरखाना