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    मां का दिन*

    *मां का दिन*
    आज मां का दिन है
    आज मां पर सुंदर सुंदर स्लोगन हैं
    आज मां पर सुंदर सुंदर कविताएं हैं 
    आज मां सभी को प्यारी है
    फिर वृद्धाश्रम में किसकी मां है
    कभी फ्लैट में किसकी मां बंद है
    कभी सासू मां के प्रति कौन दुर्व्यवहार कर रहा है
    ये कौन सा संस्कार है, जो बेटी मां को चाहती है,पर पति की मां को नहीं ‌
    कौन सी हैं वे संतानें,जो मां को अपमानित कर रहीं हैं
    कौन सी हैं वे संतानें ,जो मां को अश्रु बहाने के लिए मजबूर करतीं हैं
    *सखी* अब हो चुका बहुत दिखावा
    शिक्षा और संस्कार का समन्वय करना होगा
    उदंडता, उन्मुक्तता को त्यागना होगा
    अन्यथा जैसा बोओगे वैसा काटना होगा 
    मां का कर्ज कोई ना उतार सकता है,ना उतार पाया है
    मां पर कविता नहीं, मां को सम्मान चाहिए
    मां को धन नहीं,मां को अपनापन चाहिए ।
    ईश्वर के बाद दूजा ईश्वर रूप मां है
    बहुत दुआओं से मां ने तुम्हें पाया है
    बहुत संघर्षों में भी ,तुम्हें पहले निवाला खिलाया है

    -सुमित्रा गुप्ता *सखी*

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