माँ नहीं बदली "

शीर्षक- " माँ नहीं बदली "


बदली दुनिया, बदले सब लोग। 
पर माँ बिल्कुल नहीं बदली। । 

मौसम बदले ऋतुऍं बदली। 
सर्दी, गर्मी, वर्षा बदली। 
बदली सरिताऍं , झरने की धार। 
पर माँ बिल्कुल नहीं बदली।। 

बदल गए मंदिर मस्जिद। 
संत -महंत की शिक्षाएँ बदली। 
बदला सब आचार -व्यवहार। 
पर माँ बिल्कुल नहीं बदली।। 

बदली स्कूल कॉलेज की चाल। 
शिक्षा बदली, पाठ्यक्रम बदला। 
बदली भाषा शैली छात्रों की। 
पर माँ बिल्कुल नहीं बदली।। 

रूप बदला घर मकान का। 
बदला हमारा खान-पान,परिधान
बदल गया है,चित्र- चरित्र हमारा ।         
पर माँ नहीं बदली। । 

हे परमेश्वर! कृपा ऐसी बरसाए रखना
मुझ पर हरदम। 
छोटा न हो ममता का ऑंचल। 
चरणों में माँ के, स्वर्गिक सुख, 
मिलता रहे मुझे ताउम्र। 
चाहे बदले सारा जहाँ। 
माँ मेरी कभी न बदले।। 

-चंद्रकला भरतिया
 नागपुर महाराष्ट्र
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