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    माँ तुम्हारे बिना

     माँ तुम्हारे बिना
     

    कितना मुश्किल है जीना,
    माँ तुम्हारे बिना ।
    कितना कुछ था कहना,
    कितना कुछ था सुनना,
    कितना कुछ था पूछना,
    कितना कुछ था बताना,
    कितने पल थे तुम्हारे संग गुजारना I
    कितनी रातें थी तुम्हारे आँचल में सोना ।
    तुम्हारा मेरा चेहरा सहलाना,
    मेरी हर उदासी में मीलों दूर से ,
    महसूस कर तुम्हारा फोन करना,
    बिन बोले हर फरमाइशें पूरी करना ।
    पर एक दिन अचानक तुम्हारा,
    चिर निंद्रा में सो जाना,
    जीवन की राह में तुम्हारी,
    ममता का साया छिन जाना ।
    सच माँ बहुत मुश्किल है जीना ।
    माँ तुम्हारे बिना॥
    माँ तुम्हारे बिना॥

                           निवेदिता सिन्हा
                          भागलपुर ,बिहार

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