* नैतिकता *
किस किस को समझाये सही- गलत की पहचान
अल्फाजों का असर अब कम हो गया शायद ।
कौन सा सलीका अपनाए की लोगों
को जीने का तरीका समझाये ।
डर लगता है कुछ भी बोलने में
ना जाने वो मेरी कौन सी बात से ख़फ़ा हो जाये ।
ग़र समझे होते वो मुझे कभी गहराई से
तो मेरी तन्हाई और निशब्दता को भी समझ जाते।
पर नहीं रही शायद उनकी समझ इसलिए नासमझी में मुझे दर्द दे रहे हैं
कह गए बड़े लोग यहाँ पर मौन
होकर भी कई बातें कही जा सकती है
जो अल्फाजों में बयां नहीं कर सकते
पर हवाओं के रुख भी खामोश हो
गए हैं निर्ममता के इस दौर में
क्या करें कि लोगों को समझ आये
चलो हम फिर क्यूँ ना वही करें
जो हर दौर में हर देश में हुआ है
लेखन कर देश को जागरुक बनाए
भ्रष्टाचार से ग्रस्त देश को फिर से नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाये
डॉ रानी कुमारी
कवयित्री, लेखिका
सहायक प्राध्यापक
इतिहास जबलपुर