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    माँ का अहसास*

    माँ का अहसास* 


    मेरी हर चोट पर जिसने मरहम लगाया
     ठोकर खाकर जब गिरा उसने गले लगाया।।

     खुद भूखी रहकर हमें निवाला खिलाया 
    वह मां है वही तो मां है वही मेरी मां है।।

    मां !आज तू नहीं पर तेरा अहसास है 
    चारों और तुझे खोजती मेरी आस है ।।

    मां ! तेरे जाने से मेरे सारे सुख चले गए
     भीड़ होते हुए भी हम अकेले रह गए।।

     मां !अब कोई मेरा सुख दुख नहीं बांटता 
    बेटा खाना खाया अब कोई नहीं पूछता ।।

    देर से घर आने पर अब कोई नहीं टोकता
     ममता का स्पर्श दे अब कोई नहीं जगाता ।।

    मां !मेरे दर्द तू बिन बताए समझ जाती थी
    मुझे क्या चाहिए तू बिन मांगे दे देती थी ।।

    पाई पाई बचाई रकम मुझ पर लुटा देती थी 
    मेरे सुख की खातिर तू हर दुख सह लेती थी ।।

    मां ! मैं जानता हूं आज भी तू मेरे पास है 
    मेरे ही आसपास है इस बात का मुझे अहसास है।।
     हां मुझे अहसास है ।
                                          -डॉ सुधा चौहानराज

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