आज भी सोने की चिड़िया है
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कितने मौसम कितनी फसलें कितने हैं फल फूल यहां
इतनी नादियां इतने नाले इतना सब कुछ और कहां।
धन अकूत भरा है साजन मंदिरों के तहखानों में
तुम गरीब कहते हो देश को सबसे ज्यादा माल यहां।
आज भी सोने की चिड़िया है कल की बात नहीं है ये
अब हम सब पर नोंच रहे हैं कैद हो नेताओं के यहां।
ये दबी हुई और रखी हुई दौलत यदि खुल जाए अगर
दुख,दर्द सभी के मिट जाएं खुशहाल सभी हो जाएं यहां।,,,,
गोपी साजन