गजब कहर तू ढाया भैया
और सितम तू जिन करा
पहिले कै ऊ दिन चला गा
ऊ सोच के जिन चला
ऊ दिन कुछ अउर रहन है
राब रोटी गुड़ औ चबैना के
सुरबग्घी नधि जाय दुपहरिया
उठय सभय अंधियरिया के
चिमनी बार के अम्मा रक्खय
पापा कय वय बाट जव जोहय
पापा गा रहे बजारे
सोय गएन अउतय वय मारे
बिना बिछाए सोय गइन
गइया बाहेर न किहिन
न हम धुइहर सुलगाइन
बेजा मार न हम खाइन
हैजन के जाय कुकुरवन के
संझइन से लागय चिल्लाय
हउ हउ हउ हउ कान खाय के
मारा तव उल्टा गुर्राय
ऊ दिन कय बरसात चली गय
हर बर्धा जुवाठ चली गय
मर्दन के जज्बात चली गय
दादा वाली रात चली गय
याद सतावय धुनिया के मेला
तख्ता लावा रहिन अलबेला
दादा के लाठी आजव बाय
पहिले के याद सतावत बाय
-वरुण तिवारी मुसाफिरखाना*