दिल के टुकड़े-टुकड़े, होने के बहाने न होते।
जो तेरी यादों को दिल से लगाया न होता
आंखों से छलकाने को अश्कों के पैमाने न होते।
जो न आते तेरी प्यारी प्यारी बातों में, साहिब
तेरे फेंके हुए पत्थरों के हम निशाने न होते।
जो तुम न होते तो, शायद कुछ भी न होता,
मिले तेरी मोहब्बत में जख्मों के नजराने न होते।
-सुशी सक्सेना
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