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    घरवालों ने देखी थी

    शीर्षक- घरवालों ने देखी थी


    *(एक झाँकी प्रस्तुत है जिसमें एक लड़के के भाव बताने की कोशिश की है, जब लड़का लड़की लव मैरिज कर लेते हैं और शादी के बाद उनमें झगड़ा हो जाता है तो घरवाले बोलते हैं कि तुम्हारी पसन्द थी हम क्या करें।
    आगे आप समझ सकते हैं,मतलब लड़का कहता है कि माँ आपकी पसंद थी मेरा कोई कसूर नहीं, अगर मैं लाता तो कहते कि तू ही लाया था)*


    अपनी माँ की खुशियों ख़ातिर मैंने नज़र उठायी ना
    लाखों लड़की मिली जहाँ में कोई मुझको भायी ना

    दाग लगे ना घरवालों पर,इज्जत मुझको प्यारी थी
    लाता भगाकर लड़की किसी की,ना मेरी खुद्दारी थी
    जाऊँ भागकर घर से क़भी ये,बात मेरे मन आयी ना
    लाखों लड़की मिली जहाँ में,कोई मुझको भायी ना

    उम्र निकलने लगी मेरी तो, घरवाले ये कहने लगे
    तुझे पसन्द हो कोई तो ले आ,गर दिल में अरमान जगे
    घर बस जाएगा तेरा बेटे,इसमें कोई बुराई ना
    लाखों लड़की मिली जहाँ में,कोई मुझको भायी ना

    वो दिन भी आया फ़िर जिस दिन, यारों मेरी शादी थी
    सबको लगा के अब मेरी माँ को,घर में बस आजादी थी
    चढ़ा के घोड़ी पर बेटे को माँ, फूली नहीं समायी ना
    लाखों लड़की मिली जहाँ में,कोई मुझको भायी ना

    बहु के आते ही घर को मेरे गमों ने आकर घेर दिया
    उसकी सोच ने सचिन उम्मीदों पर पानी फेर दिया
    घरवालों ने देखी थी ये,मेरी कोई बुराई ना
    लाखों लड़की मिली जहाँ में,कोई मुझको भायी ना

    अपनी माँ की खुशियों ख़ातिर मैंने नज़र उठायी ना
    लाखों लड़की मिली जहाँ में कोई मुझको भायी ना

                              सचिन गोयल
                          गन्नौर शहर,सोनीपत

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