ग़ज़ल
प्यार से दर्द सहती रही उम्र भर,
वक़्त के साथ लड़ती रही उम्र भर,
बात किनसे करूँ कौन अपना यहाँ,
ख़ुद से ही बात करती रही उम्र भर,
कौन हँसता रहा ऐ ख़ुदा तू बता,
कौन रोती तड़पती रही उम्र भर,
लग रहा है मुझे प्यार ज़िंदा नहीं,
किस लिए साँस चलती रही उम्र भर,
सेज़ की सिलवटें कह रही है यही,
करवटें मैं बदलती रही उम्र भर,
आइना देख कर प्यार की आस में,
रोज सजती सँवरती रही उम्र भर,
ज़िंदगी की कहानी सुनाती किसे,
हाय रे आह! भरती रही उम्र भर,
हर ख़ुशी की घड़ी ग़ैर-मुस्तकिल रही,
क्यों कि किस्मत बिगड़ती रही उम्र भर,
आसमां से कभी चाँद उतरा नहीं,
क्यूँ "अदी"राह तकती रही उम्र भर,
*अदीक्षा देवांगन" अदी"*
*बलरामपुर(छत्तीसगढ़)*
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