*भगत बन गए*
बुढ़ापा जो आया तो भगत बन गए
धर्म और कर्म के अब सबक बन गए।
जवानी में मदमस्त रहते थे कितने
अब बुढ़ापे में आकर हुए पस्त इतने।
करी नेकियाँ ना बस रही बदगुमानी
कहते थे सबसे है ये जवानी दीवानी।
चालाकियों का सफर तय किया था
अपने लिए ही ये जीवन जिया था।
खुदा ही खुदा याद अब आ रहा है
जनाजा जवानी का जब जा रहा है।
बस में तुम्हारे अब कुछ रहा ही नहीं है
इसीलिए अल्फाजों में ज्ञान गंगा बही है।
जवानी में भजन गर प्रभु का जो करते
तो बुढ़ापे में आकर यूं आहें ना भरते।,,,,,
गोपाल दास अग्रवाल