उदास मन
वह बैठा था कोने में उदास
देखता था ,अपनी उदास आंखों से
भरी हुई मेजों को,
सजे हुए व्यंजनों को
पर क्या करता
पाने की नहीं थी,
कोई आस
देखते हुए, ललचाते हुए
आंखों को झपझपाते हुए
मौन रहकर
धीरे से देखते हुए
घबराते हुए
सुध आते ही
अपने उन मासूम बच्चों की
जिनकी रोटी की थी तलाश
चुपचाप खड़े होकर
वेशभूषा ठीक करते हुए
मुस्कराते हुए
आंसू छुपाते हुए
चल पड़ा अपने काम की ओर
क्योंकि
सबको भोजन परोसना ही
था
उसका काम
डॉ पूनम भसीन सहायकअध्यापिका
रुकमणी देवी मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल पन्नी गली आगरा