श्रमिक दिवस का मतलब क्या है.......
सबकी रोजी रोटी चलती जिसके दम पर भारत में।
वही नहीं है आज सुरक्षित, मजदूरी के लालच में।।
शोषण सदा से होता देखो, उनका ही चहुँ ओर यहाँ,
मजदूरों की नहीं है कोई, आज प्रतिष्ठा भारत में।
उनकी पीठ पे बोझा ढोकर, सीना तान दिखाते हैं,
बुर्जुआ का सर्वहारा से, भेद बढ़ा है भारत में।
तंजीमों के जुर्मों को भी, इसी वर्ग ने झेला है,
नहीं बना कानून अभी तक, श्रमशक्ति का भारत में।
जीवन और स्वास्थ्य का भी तो, कोई माई - बाप नहीं,
असंगठित कह छोड़ दिया है, मजदूराें को भारत में।
व्यवहारिकता में जब तक हम, इनका भला न सोचेंगे,
श्रमिक दिवस का मतलब क्या है, आज बताओ भारत में।
........ हरीश कुमार सिंह भदौरिया, आगरा की कलम से