सच में हमारी ज़िन्दगी एक किताब है।
हर शख्स इसे लिखने को बेताब है।
हर शख्स बनाना चाहता एक निशानी।
हर कोई रचना चाहता एक नई कहानी।
रोज एक नया अनुभव मिलता सिखने को।
रोज यही तो हमे मिलता है पढ़ने को।
साहब यही तो हमारी ज़िन्दगी की किताब है।
इस किताब का न कोई जवाब है।
हर दिन पन्ने को पलटते हमने देखा है।
कुछ शख्सों को नया मुकाम पाते देखा है।
कई खिताब उन्होंने हासिल किया।
ज़िन्दगी में अपना नाम रोशन किया।
वाह रे ज़िन्दगी तेरा भी जवाब नहीं।
किसी को खाली हाथ जाने देता नहीं।
"बाबू" हर एक की ज़िन्दगी को संवारता है।
ज़िन्दगी की किताब सच में तू ही लिखता है।
✍️ बाबू भंडारी "हमनवा" बल्लारपुर (महाराष्ट्र)
📱7350995551🙏
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