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    महाराणा प्रताप

    महाराणा प्रताप

    राणा प्रताप जब चेतक चढ़
    रण भूमि बीच उतरता था
    दुश्मन के छक्के छुड़ाने में
    ना परवाह जान की करता था ।।

    रणचंडी सी लप लप करती
    तलवार उसी की लहराती थी 
    शत्रु के सिर काट काट कर
    मानो अट्टहास लगाती थी ।।

    पल इधर गई पल उधर गई
    पल में ना जाने किधर गई
    नागिन सी वह लहराकर
    मानो फुफकार लगाती थी ।।

    जब तक बैरी सोचे समझे
    वह सीना पर उतर जाती
    शीश एक का कटता था
    दूजा भय से मर जाता था ।।

    लहू से धरती लाल हो गई
    अंबर भी लाल दीखता था
    राणा का घोड़ा दौड़ दौड़कर
    पीछा दुश्मन का करता था ।।

    जान लिया था मुगलों ने
    अब जान नहीं बचने वाली
    रण भूमि छोड़ कर भागे
    कायर बन जान बचा डाली ।।

    देश प्रेम का पाठ पढ़ाया
    स्वाभीमान से जीना सिखाया
    देश पर आंख उठाने वालों को
    चुन चुन कर मार भगाया।।

    भारत के ऐसे वीर सपूतों ने
    देश की आन बान बचाई है
    राणा प्रताप तुम अमर रहो
    ये कहती सारी खुदाई है।।

    डॉ सुधा चौहान राज इंदौर

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