ग़ज़ल

ग़ज़ल

*****
जितने हम मशहूर हुए हम उतने ही मगरुर हुए
दुनियां तो मुट्ठी में करली पर अपनों से दूर हुए।

इंटरनेट,मोबाइल, टीवी सबने सबको जोड़ दिया
खुद से खुद को जोड़ न पाए हम कितने मजबूर हुए।

आकर्षण के भंवर जाल में सपने चकनाचूर हुए
खुशी बेच दी हमने अपनी हम कितने रंजूर हुए।

रिश्तों की दहलीज लांघ कर हा हम कितने क्रूर हुए
मर्यादा और संस्कार सब पलभर में काफूर हुए।,,,,,                                        -गोपी साजन
expr:data-identifier='data:post.id'

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

7

6

- हम उम्मीद करते हैं कि यह लेखक की स्व-रचित/लिखित लेख/रचना है। अपना लेख/रचना वेबसाइट पर प्रकाशित होने के लिए व्हाट्सअप से भेजने के लिए यहाँ क्लिक करें। 
कंटेंट लेखक की स्वतंत्र विचार मासिक लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए यहाँ क्लिक करें।। 


 

2